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Faridabad

Wednesday, September 28, 2011

Meeting At Town Park, Sec-12 In Faridabad


GFWA General Body Meeting At Town Park, Sec-12 In Faridabad

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Faridabad Sunday 19 June 2011,There were more than 60 peoples from different societies who came down to attend this meeting. Peoples come down from Delhi, Noida, Ghaziabad, Gurgaon and many more locations to attend this meeting. These peoples are the victims of builders malpractices or cheating and also worried about the delay of the external development of Greater Faridabad area.


GFWA team briefed all members about the current working and future plans.

#1 Every member agreed to go on Protest, If Govt is not going to take strict action against Builders.
   (All members were concerned that what govt is doing for our more than 1000 complaints. Here everybody is doubting the seriousness of govt against the builders.
Peoples are thinking that now there is no difference between builders and Govt (either it is DTP, DC or HUDA. It seems Govt. is joining hands with Builders)

#2 PIL to be file against Town and County Planning for their Public Notice for the Rise in the EDC rate.
 (There is not a single penny spend on the development of area and home buyers are already paid EDC charges in year 2006 ~07. Now without any ground work Govt is increasing the EDC and putting extra burden on Home buyers.
We will ask govt.-
What they have done for the development of that area till now?
Where is the our Money gone, which we paid long back?
What is the Interest earn by Govt on that EDC amount?
What is the Total expense proposed and what is the shortfall in the development expense?)

Nobody is going to pay any extra charges, till we get answer of above questions.
In the PIL, we will ask Court to put Stay on this EDC increase.

and HUDA administration can deposit all EDC collected till date to High court and then High court supervise the expense of development.


#3 All Members then moved to DC –FBD residence to show protest and to intimate him about the seriousness of the issue.
But DC was not in the Town, so all come blank handed.

#4 New membership drive started to join more peoples for fight against builders, DTP, HUDA administration, and to File the PIL.

#5 Now every member will communicate to his friends about GFWA and www.myfaridabad.in for joining.
We will take help of all communication methods, SMS, MEDIA, PHONE CALLS, LETTERS etc.



Govt is not listening to our simple and proper approach. Now we will take a different route..in which Govt officials likes to listen.

GFWA core team members were present like : A.K. Gaur, Dheeraj Jain, Ajay Yadav, Vineet Mishra, Dharmender Kumar, Vinita Nandwani, Sushil Kumar, Pankaj arora, Piyush, Pankaj Rawat, Atul Kumar, Seema Joshi, and more…

Tuesday, September 27, 2011

Faridabad BJP Leader Nainpal Rawat - Faridabad News


अनशन के बाद पृथला क्षेत्र में हीरो बनकर उभरे Faridabad BJP Leader Nainpal Rawat

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Faridabad Tuesday 27 September 2011, फरीदाबाद के पृथला विधान सभा क्षेत्र में कल समाप्त हुआ  भाजपा नेता नयनपाल रावत का अनशन ने कई मायनो में सरकारी अधिकारिओं की पोल खोल कर रख दिया | अभी तक जिन अधिकारियों को उस क्षेत्र की समस्याएं नहीं दिखाई पडतीं थीं दो दिन के अनशन में ही उनकी आँखे खुल गयीं और फ़टाफ़ट अनशन तुडवा दिया गया और समस्याओं के निदान का आश्वासन दे दिया गया | सूत्रों द्वारा पता चल है की प्रसाशन को पता चला कि अगर ये अनशन कुछ दिन चल गया तो इस अनशन में क्षेत्र के सभी गांवों के किसान व् आम आदमी भाग ले सकते हैं और हो भी यही रहा था गाँव वाशी अपना काम काज छोड़कर इस अनशन को कामयाब बनाना चाहते थे ताकि कई सालों की समस्याओं का जल्द से जल्द कोई समाधान हो सके | अनशन के दूसरे दिन कल कई गाँव के किसान अनशन स्थल पर पहुँच गए जिसे देखकर प्रसाशन के हाँथ पाँव फूल गए और तुरंत  बल्लभगढ़ के एसडीएम इंद्रपाल बिश्नोई, पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता आरए हुड्डा ने सोमवार को अनशनकारियों को जूस पिलाकर समाप्त करा दिया। लगभग ३० घंटे तक चले इस अनशन में भाजपा नेता नयनपाल रावत, आरटीआई कार्यकर्ता नंद किशोर, कुलदीप कौशिक, राकेश वर्मा व सुनील यादव शामिल थे।
अनशन स्थल पर पहुंचे बल्लभगढ़ के एसडीएम इंद्रपाल बिश्नोई ने रावत व नंदकिशोर को बताया कि डीग से असावटी रेलवे स्टेशन तक की सड़क का टेंडर हो चुका है और यह फाइल एसई कार्यालय में पहुंच गई है। जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। वहीं सीकरी से प्याला रोड पर मिट्टी डलवाने का काम शुरू कर दिया गया है, जबकि दुधौला से असावटी रेलवे स्टेशन की सडक पलवल क्षेत्र में आती है, इसको बनवाने के लिए पलवल के जिला उपायुक्त को पत्र भेजा जाएगा। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि संबंधित सड़कों को १५ दिन के अंदर इस काबिल बना दिया जाएगा, ताकि आम आदमी आवागमन कर सके। दो माह के अंदर इनका पूरी तरह से नवीनीकरण करवा दिया जाएगा। अनशन की कामयाबी का श्रेय भाजपा नेता नयनपाल रावत को जाता है जो क्षेत्र की हर समस्या से वाकिब हैं और इस अनशन के बाद क्षेत्र में उनका कद बढ़ा है | अनशन की कामयाबी का दूसरा कारण यह है कि अनशन अन्ना की तर्ज पर शांतिपूर्ण तरीके से किया गया |

Shri Shraddha Ramlila Committee Sector 15 In Faridabad - Faridabad News


Shravan Kumar drama At Shri Shraddha Ramlila Committee Sector 15 In Faridabad

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Faridabad Tuesday 27 September 2011,  शहर के सेक्टर १५ की एतिहासिक श्रद्धा कमेटी की रामलीला का कल विधिवत शुभारम्भ किया गया | कल पहले दिन पूजा अर्चना के बाद रावण वेदवती संबाद का जीवान्त मंचन किया गया |  उसके बाद रावण का भगवान् शंकर से तलवार प्राप्त करना, तत्पश्चात श्रवण  कुमार नाटक का मंचन किया गया जिसमे दर्शाया गया कि श्रवण कुमार  के माँ-बाप बूढ़े थे, अंधे थे। वह दिन भर उनकी सेवा करता। वह कभी काम के कारण शिकायत न करता।उसने विवाह किया। उसकी पत्नी उसके बूढे माता.पिता का तिरस्कार करती थी। वह नाराज़ होकर घर छोड़कर चली जाती है। फिर भी श्रवण पत्नी के लिए माँ-बाप को नहीं छोड़ता।एक दिन श्रवण के माँ-बाप तीर्थ यात्रा पर जाने की इच्छा प्रकट करते हैं। उन दिनों रेल या बस नहीं थी। देखो कैसे श्रवण उन्हें तीर्थ पर ले जाता है।,बहुत समय पहले श्रवण कुमार नाम का एक बालक था। श्रवण के माता-पिता अंधे थे। श्रवण अपने माता-पिता को बहुत प्यार करता। उसकी माँ ने बहुत कष्ट उठाकर श्रवण को पाला था। जैसे-जैसे श्रवण बड़ा होता गया, अपने माता-पिता के कामों में अधिक से अधिक मदद करता।सुबह उठकर श्रवण माता-पिता के लिए नदी से पानी भरकर लाता। जंगल से लकड़ियाँ लाता। चूल्हा जलाकर खाना बनाता। माँ उसे मना करतीं-
”बेटा श्रवण, तू हमारे लिए इतनी मेहनत क्यों करता है? भोजन तो मैं बना सकती हूँ। इतना काम करके तू थक जाएगा।“
”नहीं माँ, तुम्हारे और पिता जी का काम करने में मुझे जरा भी थकान नहीं होती। मुझे आनंद मिलता है। तुम देख नहीं सकतीं। रोटी बनाते हुए, तुम्हारे हाथ जल जाएँगे।“
”हे भगवान! हमारे श्रवण जैसा बेटा हर माँ-बाप को मिले। उसे हमारा कितना खयाल है।“ माता-पिता श्रवण को आशीर्वाद देते न थकते।
श्रवण के माता-पिता रोज भगवान की पूजा करते। श्रवण उनकी पूजा के लिए फूल लाता, बैठने के लिए आसन बिछाता। माता-पिता के साथ श्रवण भी पूजा करता।मता-पिता की सेवा करता श्रवण बड़ा होता गया। घर के काम पूरे कर, श्रवण बाहर काम करने जाता। अब उसके माता-पिता को काम नहीं करना होता।श्रवण के माता-पिता को बेटे के विवाह की चिंता हुई। अंत में एक लड़की के साथ श्रवण कुमार का विवाह हो गया। श्रवण की पत्नी का स्वभाव अच्छा नहीं था। वह आलसी और स्वार्थी स्त्री थी। उसे श्रवण के अंधे माता-पिता की सेवा करना अच्छा नहीं लगता। अक्सर माता-पिता को लेकर वह श्रवण से झगड़ा करती। वह अपने लिए अच्छा भोजन बनाती, पर श्रवण के माता-पिता को रूखा-सूखा खाना देती। एक दिन श्रवण ने देखा उसके माता-पिता नमक से रोटी खा रहे हैं और उसकी पत्नी पूरी और मालपुए का भोजन कर रही है। श्रवण को क्रोध आ गया।
”यह क्या माँ-पिता जी को रूखी रोटी और खुद पकवान खाती हो। तुम्हें शर्म नहीं आती?“
”उन्हें खाना देती हूँ, यही क्या कम है। मैं किसी की दासी नहीं हूँ।“ श्रवण की पत्नी ने तमक कर जवाब दिया।
”क्या वे तुम्हारे माता-पिता नहीं हैं? बड़ों के साथ ऐसा बरताव क्या ठीक बात है?“
”नहीं, वे मेरे कोई नहीं लगते। मैं उनकी सेवा करने नहीं आई हूँ। मैं अभी यहाँ नहीं रह सकती। मैं जा रही हूँ। तुम चाहो तो मेरे साथ आ सकते हो। नहीं तो तुम इनके साथ बने रहो। मैं चली।“
  श्रवण की पत्नी घर छोड़कर जाने लगी। बहुत समझाने पर भी वह नहीं रूकी न श्रवण की बात मानी, न फिर कभी वापस आई। अपना दुख भुलाकर श्रवण फिर बूढे़ माता-पिता की सेवा में जुट गया। काम पर जाने के पहले वह उनके सारे काम पूरे करके जाता। घर लौटकर उनकी सेवा करता। रात में उनके पैर दबाता। माता-पिता के सोने के बाद खुद सोता।
एक दिन श्रवण के माता-पिता ने कहा-
”बेटा, तुमने हमारी सारी इच्छाएँ पूरी की हैं। अब एक इच्छा बाकी रह गई है।“
”कौन-सी इच्छा माँ? क्या चाहते हैं पिता जी? आप आज्ञा दीजिए। प्राण रहते आपकी इच्छा पूरी करूँगा।“
”हमारी उमर हो गई अब हम भगवान के भजन के लिए तीर्थ. यात्रा पर जाना चाहते हैं बेटा। शायद भगवान के चरणों में हमें शांति मिले।“
श्रवण सोच में पड़ गया। उन दिनों आज की तरह बस या रेलगाड़ियाँ नहीं थी। वे लोग ज्यादा चल भी नहीं सकते थे। माता-पिता की इच्छा कैसे पूरी करूँ, यह बात सोचते-सोचते श्रवण को एक उपाय सूझ गया। श्रवण ने दो बड़ी-बड़ी टोकरियाँ लीं। उन्हें एक मजबूत लाठी के दोनों सिरों पर रस्सी से बाँधकर लटका दिया। इस तरह एक बड़ा काँवर बन गया। फिर उसने माता-पिता को गोद में उठाकर एक-एक टोकरी में बिठा दिया। लाठी कंधे पर टाँगकर श्रवण माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने चल पड़ा।
श्रवण एक-एक कर उन्हें कई तीर्थ स्थानों पर ले जाता है। वे लोग गया, काशी, प्रयाग सब जगह गए। माता-पिता देख नहीं सकते थे इसलिए श्रवण उन्हें तीर्थ के बारे में सारी बातें सुनाता। माता-पिता बहुत प्रसन्न थे। एक दिन माँ ने कहा-”बेटा श्रवण, हम अंधों के लिए तुम आँखें बन गए हो। तुम्हारे मुंह से तीर्थ के बारे में सुनकर हमें लगता है, हमने अपनी आँखों से भगवान को देख लिया है।“
”हाँ बेटा, तुम्हारे जैसा बेटा पाकर, हमारा जीवन धन्य हुआ। हमारा बोझ उठाते तुम थक जाते हो, पर कभी उफ़ नहीं करते।“ पिता ने भी श्रवण को आशीर्वाद दिया।
”ऐसा न कहें पिता जी, माता-पिता बच्चों पर कभी बोझ नहीं होते। यह तो मेरा कर्तव्य है। आप मेरी चिंता न करें।“
एक दोपहर श्रवण और उसके माता-पिता अयोध्या के पास एक जंगल में विश्राम कर रहे थे। माँ को प्यास लगी। उन्होंने श्रवण से कहा-
बेटा, क्या यहाँ आसपास पानी मिलेगा? धूप के कारण प्यास लग रही है।
”हाँ, माँ। पास ही नदी बह रही है। मैं जल लेकर आता हूँ।“
श्रवण कमंडल लेकर पानी लाने चला गया।
अयोध्या के राजा दशरथ को शिकार खेलने का शौक था। वे भी जंगल में शिकार खेलने आए हुए थे। श्रवण ने जल भरने के लिए कमंडल को पानी में डुबोया। बर्तन मे पानी भरने की अवाज़ सुनकर राजा दशरथ को लगा कोई जानवर पानी पानी पीने आया है। राजा दशरथ आवाज सुनकर, अचूक निशाना लगा सकते थे। आवाज के आधार पर उन्होंने तीर मारा। तीर सीधा श्रवण के सीने में जा लगा। श्रवण के मुंह से ‘आह’ निकल गई।
राजा जब शिकार को लेने पहुंचे तो उन्हें अपनी भूल मालूम हुई। अनजाने में उनसे इतना बड़ा अपराध हो गया। उन्होंने श्रवण से क्षमा माँगी।
”मुझे क्षमा करना एभाई । अनजाने में अपराध कर बैठा। बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?“
”राजन्, जंगल में मेरे माता-पिता प्यासे बैठे हैं। आप जल ले जाकर उनकी प्यास बुझा दीजिए। मेरे विषय में उन्हें कुछ न बताइएगा। यही मेरी विनती है।“ इतना कहते-कहते श्रवण ने प्राण त्याग दिए।
दुखी हृदय से राजा दशरथ, जल लेकर श्रवण के माता-पिता के पास पहुंचे। श्रवण के माता-पिता अपने पुत्र के पैरों की आहट अच्छी तरह पहचानते थे। राजा के पैरों की आहट सुन वे चैंक गए।
”कौन है? हमारा बेटा श्रवण कहाँ है?“
बिना उत्तर दिए राजा ने जल से भरा कमंडल आगे कर, उन्हें पानी पिलाना चाहा, पर श्रवण की माँ चीख पड़ी-
”तुम बोलते क्यों नहीं, बताओ हमारा बेटा कहाँ है?“
”माँ, अनजाने में मेरा चलाया बाण श्रवण के सीने में लग गया। उसने मुझे आपको पानी पिलाने भेजा है। मुझे क्षमा कर दीजिए।“ राजा का गला भर आया।
”हाँ श्रवण, हाय मेरा बेटा“ माँ चीत्कार कर उठी। बेटे का नाम रो-रोकर लेते हुए, दोनों ने प्राण त्याग दिए। पानी को उन्होंने हाथ भी नहीं लगाया। प्यासे ही उन्होंने इस संसार से विदा ले ली।
सचमुच श्रवण कुमार की माता-पिता के प्रति भक्ति अनुपम थी। जो पुत्र माता-पिता की सच्चे मन से सेवा करते हैं, उन्हें श्रवण कुमार कहकर पुकारा जाता है। सच है, माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।नाटक मंचन के दौरान उनकी भक्ति और सेवा देख कई दर्शकों की आंखों में आंसू छलक पडे़।
नाटक के श्रवन की भूमिका अनिल चावला ने निभाया जबकि अम्बिका पुंज ने प्लेबैक सिंगर का किरदार अदा किया | मंच संचालन लाजपत चांदना ने किया | रावण की भूमिका श्रवन चावला ने निभाया | इस अवसर पर वहां भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष रेनू भाटिया प्रमुख रूप से उपस्थित थीं |
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